संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद  (UNSC) का नेतृत्व करने वाले देश के पहले पीएम बने मोदी

जब अफगानिस्तान से अमेरिकी सेनाएं घर लौट रही हैं। तालिबान वहां अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। कश्मीर में आर्टिकल-370 को हटने के 2 साल से अधिक का समय हो चुका है। 

देश अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए अम्रत महोत्सव मना रहा है। यह पहला मौका था जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा सुरक्षा परिषद का नेतृत्व किया जा रहा था, जिस पर पूरी दुनिया की नजरें थी।

भारत एक जनवरी, 2021 को सुरक्षा परिषद का आठवीं दफा अस्थायी सदस्य बना है। भारत की सदस्यता 31 दिसंबर, 2022 को ख़त्म होगी। इस पूरे कार्यकाल में भारत के पास दो बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता आएगी।

भारत अपने कार्यकाल के दौरान तालिबान और लीबिया प्रतिबंध समितियों ,आतंकवाद निरोधक समिति की अध्यक्षता करेगा।

  क्या है UNSC

दूसरे विश्वयुद्ध के बाद देशों के बीच शांति, सुरक्षा और मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने के मकसद से यूनाइटेड नेशंस की स्थापना हुई। यूनाइटेड नेशंस के 6 प्रमुख अंग है जिनमें से 

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भी एक है। इसका मुख्य काम दुनियाभर में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है

सुरक्षा परिषद के सदस्य

सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य देश हैं, जिनमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी हैं। स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन शामिल हैं। स्थायी सदस्यों में से यदि कोई भी  देश किसी फैसले से असहमत होता है तो वीटो पॉवर का इस्तेमाल कर उसे पास होने से रोक सकता है।

इस वर्ष 1 अगस्त से भारत ने सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष की कमान संभाली थी, जो एक महीने तक जारी रही। जिसमें तीन हाई लेवल मीटिंग जिसमें समुद्री सुरक्षा,शांति स्थापना, आतंकवाद का मुकाबला जैसे वैश्विक मुद्दे चर्चा के केंद्र में रहे।

अध्यक्षता हर महीने अंग्रेजी के लैटर के आधार पर बदलती रहती है। अब भारत को दिसंबर 2022 में फिर से अध्यक्षता करने का मौका मिलेगा।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बहुपक्षवाद (मल्टी लेटरलिज्म) और वैश्विक शासन (ग्लोबल गवर्नेंस) व्यवस्था के समक्ष गंभीर चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं। ऐसे में एक जिम्मेदार वैश्विक हित धारक होने के नाते भारत जैसे राष्ट्र के लिए UNSC जैसे मंचो पर आगे आना और अपना योगदान देना महत्वपूर्ण है। 

इसी कड़ी में UNSC में भारत की भूमिका  पांच 'स' दृष्टिकोण  सम्मान(Respect), संवाद(Dialogue),सहयोग(cooperation) , सार्वभौमिक शांति(Peace), समृद्धि(Prosperity) पर आधारित है।

स्थायी सीट की दावेदारी

परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत की दावेदारी को चीन द्वारा बार बार रोका गया है।  प्रमुख सदस्यों में गहन मतभेदों के कारण परिषद अल्प प्रभावी होती जा रही है। वर्तमान में परिषद को अधिक प्रतिनिधिक बनाने की आवश्यकता है, जो समूची दुनिया का प्रतिनिधित्व करे न की दुनिया के रहनुमाओं की। 

वैश्विक जगत को विश्व भर में मानव सुरक्षा के संरक्षण हेतु प्रतिबद्ध उन देशों के संरक्षण की प्रबल आवश्यकता है जो नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के पक्षधर हैं जिनमें भारत की एक महती भूमिका है। जिसका प्रमाण पिछले वर्ष 192 देशों में 184 देशों द्वारा UNSC में भारत के अस्थायी सदस्य बनने का समर्थन करना है। जो भारत के वैश्विक जगत मैं बढ़ते कद को दिखाता है।

भारत इस मंच का प्रयोग जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, जैविक युद्ध, ग्रीन एनर्जी , चीनी विस्तारवादी रवैया और उइगर मुस्लिमों पर किए जा रहे अत्याचार और पाकिस्तान कारक को वैश्विक समुदाय से रुबरु कराने मे उपयोग कर सकता है। जिससे हमारे सीमा विवाद, द्विपक्षीय सहयोग के नए क्षेत्र सृजित होंगे।

भारत संयुक्त राष्ट्र में शांति सैनिकों के सबसे बड़े योगदानकर्ता में से एक है। जिस कारण विश्व भर में शांति प्रयासों में सुधार लाने के लिए भारत सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का अपने सामर्थ्य का लाभ उठाने का प्रयास करेगा।

 आगामी समय में जलवायु परिवर्तन मानव समुदाय के लिए सबसे बड़ा खतरा है। भारत को इस मुद्दे पर नई पहल के लिए इस मंच का प्रयोग करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा प्रत्यास्थ अवसंरचना हेतु गठबंधन जैसी पहलें भारत द्वारा वैश्विक तापन से निपटने में सम्भावित नेतृत्वकारी भूमिका को रेखांकित करती हैं।


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