वर्तमान में बदलते परिदृश्य तथा कोविड महामारी के दौरान उपजी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए , ग्रामीण विकास पर बनी संसदीय स्थायी समिति ने लोकसभा में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए, मनरेगा योजना के संपूर्ण कायाकल्प की सिफारिश की है।
समिति ने योजना का विश्लेषण करते हुए सुझाव दिया है कि योजना के तहत गारंटीकृत कार्य दिवसों की संख्या को 100 से बढ़ाकर 150 किया जाए। और इसमें दिए जाने वाले वेतन को 3: 2 के रूप में संशोधित करने , साथ ही सभी जॉब कार्ड धारकों को आवश्यक वस्तुओं और मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं देने की बात कही है।
समिति ने लोकसभा में पेश अपनी रिपोर्ट में जोरदार सिफारिश करते हुए कहा है कि, ग्रामीण विकास मंत्रालय मनरेगा योजना की समग्र समीक्षा करे।
साथ ही समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि कोविड की मौजूदा स्थिति में, यह अनिवार्य है कि मनरेगा के तहत काम करने वाले सभी मजदूरों को संबंधित गांवों में ही जॉब कार्ड से जुड़ी मुफ्त बुनियादी चिकित्सा सुविधाएं दी जाएं।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने यह भी माना है कि मजदूरों को कौशल प्रदान करने, लाभार्थियों के जीवन की गुणवत्ता को उन्नत करने वाले प्रावधानों की शुरूआत, मजदूरी से जुड़ी बाधाओं को दूर करने के लिए, प्रौद्योगिकियों और सॉफ्टवेयर के उपयोग में वृद्धि जैसी योजनाओं को शामिल करने की जरूरत है। साथ ही जॉब कार्ड के हस्तांतरण और सत्यापन के लिए इस योजना में महत्वपूर्ण परिवर्तन की आवश्यकता है।
वित्त वर्ष 2022-23 के लिए मनरेगा के मद में 73000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। यह बीते वित्त वर्ष के संशोधित बजट 98000 करोड़ रुपए से 25.5 फीसदी कम है।
रिपोर्ट की माने तो नवंबर, 2021 तक इस योजना के तहत 2763.78 करोड़ रुपये की मजदूरी देनदारियां बकाया हैं। जो इस योजना में सुधार की मांग को रेखांकित करता है। साथ ही ग्रामीण विकास मंत्रालय से लक्षित हितधारकों के संबंध में हस्तक्षेप करने की मांग की है जिससे इस योजना में व्याप्त दोषों को दूर किया जा सके।
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