कोरोना काल के बाद की भारतीय इकोनॉमी में फिनटेक वह सेक्टर है जो सबसे ज्यादा संभावनाओं वाला साबित हुआ।
देश में पहले से ही मजबूत आईटी प्रोफेशनल्स और बड़ा घरेलू बाजार है जिसने इस सेक्टर को पनपने का बेहतरीन अवसर दिया है। बजट में इस सेक्टर को सरकार से काफी उम्मीदें हैं।
भारत को तकनीकी आधारित इकोनॉमी में तब्दील होने के लिए सरकार ने पिछले वर्ष बजट में इस सेक्टर की सहूलियत के लिए कई कदम उठाए थे। डिजिटल भुगतान को बेहद आसान बनाते हुए समूचे वित्तीय सेक्टर में बड़े बदलाव की जमीन पहले ही तैयार हो चुकी है।
फिनटेक फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी का एक रूप है। वित्तीय कार्यों में टेक्नोलॉजी के उपयोग को ही फिनटेक कहा जाता है। हालांकि फिनटेक एनबीएफसी के तौर पर अभी काम कर रहे हैं। पहले वह बैंक से फंड हासिल करते हैं और फिर बाद में उसे ग्राहकों के बीच देते हैं।
फिनटेक कंपनियां इस साल बजट से कर राहत की उम्मीद कर रही हैं। कंपनियों का कहना है तरलता प्रभाव बढ़ाने के उपाय, खुदरा क्षेत्र में काम करने वाली एनबीएफसी के लिए कम लागत वाली फंडिंग, के साथ साथ जीएसटी और टीडीएस पर छूट की शुरुआत बजट में होनी चाहिए।
स्पाइस मनी के संस्थापक दिलीप मोदी का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र को फोकस करने वाले फिनटेक को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है। जो ग्रामीण जनता की जरूरत के हिसाब से तकनीक लाए। और उन्हें आसानी से हर तरह का कर्ज मुहैया कराए। हर छोटी-बड़ी फिनटेक कंपनी के लिए अलग-अलग केवाईसी( ग्राहकों की पहचान सत्यापित करने वाला नियम) को आसान बनाया जाना चाहिए। और वित्तीय सेक्टर की सभी तकनीक आधारित कंपनियों के लिए केवाईसी की पहचान सत्यापित होना चाहिए।
मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद शोध और नवाचार को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दे रही है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार पिछले कई वर्षों में शोध और नवाचार का बजट दोगुना हो गया है।इसके साथ ही पेटेंट की संख्या में भारी वृद्धि दर्ज की गई है।
सरकार ने आने वाले बजट में इस पर और खर्च बढ़ा सकती है। साथ ही इसमें निजी क्षेत्र से सहयोग लेने की पेशकश कर सकती है। मौजूदा समय में देश में शोध और नवाचार पर जीडीपी का एक प्रतिशत से भी कम खर्च किया जाता है।
गौरतलब है राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत गठित किए गए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (एनआरएफ) का कुल प्रस्तावित खर्च पांच साल की अवधि में 50,000 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया है।
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